बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

कर्तव्यनिष्ठ

कल्पतरु कर्तव्यनिष्ठ एक व्यक्ति एक्सीडेंट से घायल अपने बच्चों को लेकर अस्प्ताल पहुंचा। चकउप के बाद डॉक्टर ने कहा कि ऑपरेशन होगा। स्पेश्किस्त सर्जन उस वक्त हॉस्पिटल में मौजूद नहीं थे। उन्हें फोन किया गया। सर्जन जितनी जल्दी हो सकता था आ गए। फिर भी उन्हें आने में आधे घंटे का समय लग गया। घायल बच्चे के पिता डॉक्टर पर भड़क उठे उर कहते हैं आपको अपना कर्तब्य भी नहीं पता। आप हॉस्पिटल से गायब हैं और जब बुलाया जाता तो इतनी देर से आते हैं .... . सर्जन ने कहा मैं जितनी जल्दी आ सकता था आ गया ......। सर्जन बात पूरी कर भी नहीं पाये थे कि बच्चे के पिता बिफर उठे - अगर आपके आपके बच्चे का एक्सीडेंट होता तब भी आप इतनी ही देर से आते ? सर्जन ने कहा मुझे बातों में मत उलझाइये इस समय तुरंत ऑपरेशन करना होगा। सर्जन ऑपरेशन थिएटर में चले गए। एक घंटे तक बच्चे के पिता बैचेन रहा। वह संशय में रहे कि , मैंने उसे जाली कटी सुना दी सर्जन वैसे ही लापरवाह हैं , कहीं .......। वह भगवन से प्रार्थना करने लगा। एक घंटे बाद सर्जन ने बहार आकर कहा , बधाई हो ऑपरेशन सफल रहा मुझे जल्दी जाना है , निकट हूँ , आप नर्स से दवाईयां समझ लें। पिता खुश था परन्तु वह सोच भी रहा था कि, सर्जन तो बड़ा घमंडी है, दो मिनट बात भी नहीं की। सच , उसे अपना कर्तब्य पता ही नहीं है। पिता नर्स के पास गया। नर्स ने बताया - डॉक्टर साहब के बच्चे की मौत एक एक्सीडेंट में हो गयी है। जब उन्हें फोन कर यहाँ बुलाया गया , तब वे उनकी अंत्येष्ठि कर रहे थे। बच्चे का पिता स्तब्ध रह गया। कथा मर्म / भावार्थ :- पूरी बात बिना जेन - बुझे किसी पर प्रश्नचिन्ह लगाना उचित नहीं है , हालाँकि कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति प्रश्नचिन्ह लगाने पर भी विचलित नहीं होता और अपना कम जिम्मेदारी पूर्वक करता है। jagran 12 feb 2014

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