सोमवार, 27 अक्तूबर 2014

भगवान भाष्कर और आस्था का प्रतीक पर्व "छठ महापर्व" के पावन अवसर पर आप सभी फेसबुक प्रेमियों को हमारी ढेर सारी शुभकामनायें !

वैसे तो हिंदू धर्म में किसी भी पर्व की शुरुआत स्नान व शुद्धिकरण मंत्र "ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वास्थां गतोपि वा य:स्मरेत् पुण्डरी काक्षं स वाह्याभ्यन्तरः शूचिः" का उच्छारण कर मन्त्रोक्त बिधि से अपने वाह्य अभ्यंतर को स्वच्छ व पवित्र कर पूजा आरम्भ करते हैं किन्तु भगवान सूर्य की उपासना आस्था का महा पर्व छठ स्नान यानी नहाय-खाय के साथ शुरू होता है. मौके पर व्रती महिला स्नान और पूजन-अर्चन के बाद अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी, सेंधा नमक के बने प्रसाद को ग्रहण किया करती हैं जो, आज से शुरू हो चूका है. अब नहाय-खाय के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी के दिनभर व्रती उपवास कर शाम में स्नानकर विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर भगवान भास्कर की अराधना कर खड़ना का प्रसाद ग्रहण करेंगी. और इसी के साथ व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा जो गुरुवार को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद समाप्त होगा. यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि (इस साल 29 अक्टूबर) को उपवास रखकर शाम को व्रतियां टोकरी (बांस से बना दउरा) में ठेकुआ, फल, ईख समेत अन्य प्रसाद लेकर नदी, तालाब, या अन्य जलाशयों में जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर इसके अगले दिन यानी 30 अक्टूबर सप्तमी तिथि को सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर घर वापस लौटकर अन्न-जल ग्रहण कर 'पारण' करेंगी/ व्रत तोड़ेंगी. सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल देने वाले इस पर्व को पुरुष और महिला समान रूप से मनाते हैं, परंतु आम तौर पर व्रत करने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक होती है. कुछ साल पहले तक मुख्य रूप से यह पर्व बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता था, परंतु अब यह पर्व पूरे देश में मनाया जाता है. प्राचीन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अनुपम महापर्व को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की अराधना की जाती है. व्रत करने वाले मां गंगा और यमुना या किसी नदी या जलाशयों के किनारे अराधना करते हैं. इस पर्व में स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है. मान्यता है कि खड़ना पूजा के बाद ही घर में देवी षष्ठी (छठी मईया) का आगमन हो जाता है. इस पर्व में गीतों का खास महत्व होता है. छठ पर्व के दौरान घरों से लेकर घाटों तक कर्णप्रिय छठ गीत गूंजते रहते हैं. व्रतियां जब जलाशयों की ओर जाती हैं, तब भी वे छठ महिमा की गीत गाती हैं. छठ से जुड़ी प्रचलित लोक कथाओं के अनुसार भगवान राम और माता सीता ने रावण वध के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की और अगले दिन यानी सप्तमी को उगते सूर्य की पूजा कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। तबसे लेकर आज तक इस महा पर्व को इसी विशेष उद्देश्य से मनाया जाता है. एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ की शुरुआत महाभारत काल में सबसे पहले अंग प्रदेश यानी वर्तमान बिहार के भागलपुर के राजा व सूर्यपुत्र कर्ण ने यह पूजा आरम्भ की. कर्ण घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया करते थे और शक्ति व सौर्य को प्राप्त करते थे. दूसरी ओर महाभारत काल में ही पांडवों की भार्या द्रौपदी के भी सूर्य उपासना करने का उल्लेख है जो अपने परिजनों के स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना के लिए नियमित रूप से यह पूजा किया करती थीं. तो आईये हमसब मिलकर छठ महापर्व के पावन अवसर पर एक दूसरे को सम्बल प्रदान करें ! भगवान भाष्कर और आस्था का प्रतीक पर्व "छठ महापर्व" के पावन अवसर पर आप सभी फेसबुक प्रेमियों को हमारी ढेर सारी शुभकामनायें !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें